आज हम आपको बताने वाले है कि कंप्यूटर science में PKC (Public key Cryptography) क्या होती है क्योंकि इसके बारे में अक्सर कई तरह की परीक्षा में पूछा जाता है. इसलिए हम आपको इसके बारे में आपको पूरी detail दे रहे है.
Public Key Cryptography क्या है
पब्लिक की क्रिप्टोग्राफ़ी को Asymmetric cryptography भी कहते है जो क्रिप्टोग्राफी का एक फॉर्म होता है Public Key Cryptography Information security की एक प्रॉपर्टी होती है, जिसका निर्माण universe के mathematical स्ट्रक्चर से हुआ है. PKC इनटरनेट पर कम्युनिकेशन चैनल को सिक्योर करने में सक्षम होती है.
Public key Cryptography या Asymmetric cryptography की जो मुख्य विशेषता होती है वो यही है कि इसमें हर व्यक्ति के लिए 2 पब्लिक key और private key का उपयोग होता है, जिसमे एक key की मदद से encrypt किये गए मैसेज को दूसरी key की मदद से डिक्रिप्ट कर सकते है. Key अगर बहुत लंबी होती है तो इन्हें एक दूसरे से अलग करना संभव नही होता है.
Some major points in Asymmetric cryptography
- Public key cryptography को ही asymmetric cryptography कहते है इसलिए इसमे confuse होने की जरूरत नही है.
- PKC में यूजर के पास 2 cryptographic key – Public और private key होती है.
- Private key को secret रखते है और public key सभी को डिस्ट्रीब्यूट हो सकती है.
- आने वाले मैसेज को लेने वाले यूजर की public key से encrypt किया जाता है और प्राइवेट की से मैसेज को डिक्रिप्ट करते है.
Key Range key size in PKC
- इसमे 2 बिट बाइनरी नंबर के 4 states होते है कुछ इस तरह से – 00, 01, 10, 11.
- इसमे 3 बिट बाइनरी नंबर के 8 states होते है – 000, 001, 010, 100, 011, 110, 101, 111.
- जैसे – जैसे बिट्स के नंबर बढ़ते है वैसे – वैसे binary स्टेट्स दुगने हो जाते है.
- Key की size बढ़ाने पर binary states की संख्या और key की range भी बढ़ जाती है.
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